दिल्ली से झारखंड या ओडिशा सफर करना है तो सावधान, कैंसिल हो गई हैं ये 27 ट्रेनें, यहां चेक कर लें अपनी ट्रेन का हाल
Train Cancelled Today: कुर्मी संगठनों के आंदोलन को देखते हुए South Eastern Railway) ने रांची रेल मंडल में करीब 27 ट्रेनें कैंसिल कर दी है.
(Source: Reuters)
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Train Cancelled Today: कुर्मी संगठनों के बुधवार से रेल पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध करने के आह्वान को देखते हुए दक्षिण-पूर्व रेलवे (South Eastern Railway) के रांची रेल मंडल में करीब 27 ट्रेनें कैंसिल कर दी गई हैं. इसके अलावा कई अन्य गाड़ियों का मार्ग बदल दिया गया. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जो ट्रेन मंगलवार को अपने संबंधित स्टेशन से प्रस्थान करने वाली थीं और अगले दिन रांची रेल मंडल में प्रवेश करने वाली थीं, उन्हें एहतियातन या तो रद्द कर दिया गया है या फिर उनका मार्ग बदल दिया गया है.
क्यों हो रहा है आंदोलन
कई कुर्मी संगठनों ने समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए 20 सितंबर से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के नौ रेलवे स्टेशन पर रेल पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध करने का आह्वान किया है.
#ser #IndianRailways pic.twitter.com/huaiDyYngh
— South Eastern Railway (@serailwaykol) September 18, 2023
20 सितंबर से पटरियों पर लगेगा जाम
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झारखंड के अग्रणी कुर्मी संगठन 'टोटेमिक कुर्मी विकास मोर्चा' (TKVM) के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल के आदिवासी कुर्मी समाज और ओडिशा की कुर्मी सेना सहित कई संगठन आंदोलन में शामिल होंगे. उन्होंने रांची में कहा कि 20 सितंबर से झारखंड में मुरी, गोमो, नीमडीह और घाघरा स्टेशन, पश्चिम बंगाल में खेमासुली व कुस्तौर स्टेशन तथा ओडिशा में हरिचंदंपुर, जराइकेला एवं धनपुर स्टेशन पर रेल पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए जाम किया जाएगा.
ओहदार ने कहा, "पारंपरिक पोशाक पहने कुर्मी समुदाय के हजारों लोग ढोल और अन्य वाद्ययंत्र बजाते हुए और छऊ, पाटा, नटुवा व झूमर नृत्य करते हुए आंदोलन में हिस्सा लेंगे."
पिछले साल भी रोकी थी ट्रेन
कुर्मी संगठनों ने अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए पिछले साल 20 सितंबर को पांच दिन के लिए रेल पटरियों को जाम किया था, जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ था. ओहदार ने समुदाय के सांसदों से संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इस मांग को उठाने का आग्रह किया. आदिवासी कुर्मी समाज (एकेएस) के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने दावा किया कि ब्रिटिश शासन के दौरान 1913 में कुर्मियों को अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
उन्होंने कहा कि जब केंद्र ने छह सितंबर 1950 को एसटी सूची अधिसूचित की, तो कुर्मियों को पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की सूची में डाल दिया गया. प्राचीन काल से कुर्मी अनुसूचित जनजाति के रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि तीनों राज्यों में उनकी आबादी दो करोड़ से अधिक होने का अनुमान है.
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01:45 PM IST